तुम रूबरू हुए,हम बेखबर होते गए।
क्या दौर है,जमाना बदल रहा है।
जब गौर किया तो रिश्ते नाते
सब वही बस स्वयं बदल गया।
वो दिन ये दिन सब देखते हुए बडे हुए,
आज जहा तुम हो हम भी तो खडे हुए।
हर लोग हर चलायमान जिंदा हैं पर दिख रही,,
मानवता हर पल तार तार होती दिख रही।.
कोई कही तो सिख लो,,,
ना कुछ तो प्रेम का ही बस भींख दो,,,
कब तलक लंठ गुरु ही बस जगाते घुमेगा।
कभी कभी तो स्वय का अलार्म फिट लो।
जो समय से तुमको जगायेगा,,
जब राह गलत होगी तो अलार्म तो बचायेगा।
कल तक लोग लंठ कहते रहे,,,
पर आज कुछ बनने की बारी आई है,,
पकड लो प्रेम का राह नई रोशनी दिखाई है।
लंठ गुरु की कलम से
क्या दौर है,जमाना बदल रहा है।
जब गौर किया तो रिश्ते नाते
सब वही बस स्वयं बदल गया।
वो दिन ये दिन सब देखते हुए बडे हुए,
आज जहा तुम हो हम भी तो खडे हुए।
हर लोग हर चलायमान जिंदा हैं पर दिख रही,,
मानवता हर पल तार तार होती दिख रही।.
कोई कही तो सिख लो,,,
ना कुछ तो प्रेम का ही बस भींख दो,,,
कब तलक लंठ गुरु ही बस जगाते घुमेगा।
कभी कभी तो स्वय का अलार्म फिट लो।
जो समय से तुमको जगायेगा,,
जब राह गलत होगी तो अलार्म तो बचायेगा।
कल तक लोग लंठ कहते रहे,,,
पर आज कुछ बनने की बारी आई है,,
पकड लो प्रेम का राह नई रोशनी दिखाई है।
लंठ गुरु की कलम से